Saturday, October 31, 2015

भाग्य-भाग्य की बात



भाग्यशाली फिर भी औरतें ही होतीं हैं। पुरुषों के भाग्य में भाग्यशाली होना कम ही लिखा है।

अच्छा तुम्हारा पति घर का कामों में तुम्हारा हाथ बंटाता है, सुबह जब तक किचन का काम संभालती हो वो बच्चों को स्कूल के लिए तैयार कर देता है, ताकि दोनों साथ में दफ्तर के लिए निकल सको? फिर शाम को जब घर पहुंचती हो तो जब तक तुम किचन, अगली सुबह के कपड़े, सफाई वगैरा का काम देखती हो वो बच्चों को होमवर्क भी करा देता है? अगर किसी दिन तुम्हें देर हो गई तो वो चाय भी बना कर इंतज़ार करता है तुम्हारा? सचमुच किस्मतवाली हो तुम।




ऑफिस के काम से ही नहीं, तुम अगर देर रात तक अपने दोस्तों के साथ पार्टी के लिए भी यदा-कदा बाहर रहना चाहो तो वो बुरा नहीं मानता, घर जल्दी आकर बच्चों को संभाल लेता है, ज़रूरत पड़े तो खाना बना कर उन्हें खिला भी देता है? उसे अपने दोस्तों के साथ पार्टी करनी हो तो तुम्हें पहले से पता होता है ताकि प्लानिंग हो सके उसी हिसाब से? क्या बात है, काउंट योर ब्लेसिंग्स, टच वुड।
जब घर में बच्चे बीमार पड़ते हैं तो मां होने के नाते तुमसे पहले छुट्टी की उम्मीद नहीं की जाती, तुम दोनों देख लेते हो कि काम किसका ज़रूरी है फिर तय करते हो कि घर पर कौन रहे? उस दिन वो तुम्हें बार-बार फोन करके ये भी नहीं पूछता कि कौन सी चीज़ कहां रखी है? क्योंकि उसे सब पता है पहले से? क्या बात करती हो, कहां ढूंढा तुमने ऐसे नायाब हीरे को?

ससुराल वालों के साथ तुम्हारे मायके वाले भी आ जाएं तो भी उसे कोई प्रॉब्लम नहीं? सब एक साथ हंसी-खुशी समय बिता लेते हैं, क्योंकि तुम्हारे साथ-साथ वो भी इस बात का ख़ास ख्याल रखता है कि कोई ऊंच-नीच ना हो जाए? कुछ हो भी जाता है तो वो आगे बढ़कर संभाल भी लेता है? तुमने ससुरजी का टायफॉयड और अपनी मां का ऑपरेशन एक साथ संभाल लिया अपने घर में, पति के सहयोग से? अब बस भी करो, ये कुछ ज्यादा नहीं हो गया, हमारी नज़र लग जाएगी तुम्हें।

अच्छा घर के काम में मदद ही नहीं करता, अपने काम तो खुद से कर लेता है ना? अपनी तनख्वाह को मुट्ठी में पकड़ता है ना, तुम्हारे नोट तो नहीं गिनता? बिना बताए घर के बाहर ही तो पार्टी करता है, शाम को घर लौटने पर चार दोस्तों के साथ ड्राईंग रुम में तो जमा नहीं पाती उसे बिना नोटिस के? फिर भी लकी हो, कम से कम शांति से तो संभाल पा रही हो घर-बाहर। नौकरी कर तो पा रही हो जैसे-तैसे।

लेकिन किस्मत का इतना धनी हो पाना कम मर्दों को ही नसीब हो पाता है।

प्रोफेशनली क्वालीफाईड, वर्किंग पत्नी है इसकी। काम में सिर खपा कर इतनी भी हैसियत नहीं बिचारे की कि बीवी से बिना पूछे शाम को एक ड्रिंक के लिए घंटे-दो घंटे रुक सके, क्योंकि घर जाकर बच्चों का होम वर्क कराना पड़ता है इसको। ये क्या हाल बना रखा है भाई?

आज इसलिए नहीं रुक सकते क्योंकि बीवी का प्लान है उसके दोस्तों के साथ? बराबरी और वीमेंस लिब की तो... अच्छा खासा शेर दोस्त था हमारा, बीवी ने चूहा बना डाला है इसको।

इसको तो ये भी पता है कि घर में कौन सी दाल कितनी बची है? क्यों भाई ग्रोसरी का कौन सा एप्प सबसे अच्छा है बताना ज़रा? वैसे इतना कैसे बर्दाश्त कर लेता है, तुझसे ज्यादा कमाती है क्या?
अब तुझे क्या ज़रूरत ओवरटाइम या प्रमोशन की? जा मज़े में घर संभाल, हमें थोड़े ना बीवी की तनख्वाह का सहारा है।

क्या कहा, सास का ऑपरेशन कराना है इसे? तूने पहले क्यों नहीं बताया कि तू घर-जमाई बन गया है?
अब ये क्या बात हुई भाई, बीवी ने नौकरी छोड़ दी, ताकि बच्चों की पढ़ाई पर पूरा ध्यान दे सके। इसे कहते हैं जात भी गंवाया और भात भी नहीं खाया। अब अपनी तनख्वाह में घर भी चलाना होगा और मॉडर्न बीवी के खर्चे भी उठाने होंगे। चल कोई नहीं, कुछ दिनों के लिए तुम्हारा ड्रिंक हम स्पॉन्सर कर देंगे।

ये तू रोज़-रोज़ घर से लंच पैक कराकर क्यों ले आता है, स्कूल में पढ़ता है क्या? भैया, बीवी को बोलो किसी दिन तो छुट्टी दिया करे और अपना वक्त किसी क्रिएटिव काम में जाया करे।

यार ये घर पर इंतज़ार करती हाउस-वाइफ भी अजीब मुसीबत हैं। इससे तो अच्छा कि नौकरी ही कर लेतीं, खुद भी जीतीं और हमें भी चैन से जीने देतीं। 

तेरे कागज़-पत्तर, कपड़े वगैरा पत्नी संभालती है? अब ये मत कहना कि रोज़ सुबह पैर छूती है और पैर धोकर भी पीती है। बर्दाश्त कैसे करता है तू सती-सावित्री को? सफोकेशन नहीं होती क्या?

सुसंस्कृत, सुंदर, पढ़ी-लिखी, कामकाज़ी, घर बाहर दोनों संभालने वाली बीवी, अपने मां-बाप को भूल कर ससुराल के हर आदमी को पूरे मन से अपनाने वाली, अपने-आप में खुश रहने वाली पत्नी मर्दों का जन्मसिद्ध अधिकार है। इसमें किस्मत की बात कहां से आती है?

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