विएना में एब्सबर्ग (Habsburg) राजवंश के तीन सौ साल
पुराने निवास शॉनब्रुन (Schönbrunn) पैलेस का नाम दुनिया के चंद
बेहतरीन राजमहलों में शुमार है। शॉनब्रुन का मतलब है ‘सुंदर वसंत।’ विएना की यात्रा इस परिसर को देखे बिना पूरी
नहीं मानी जाती, और इसे अच्छी तरह देखने के लिए एक पूरा दिन भी कम पड़ जाता है। सड़क
के दोनों ओर सतर सिपाहियों से खड़े करीने से कटे पेड़, खूबसूरत बाग़ीचे, उनके बीच
झाड़ियों की भूल-भुलैया, संग्रहालय, रोमन खंडहर, नेप्च्यून फाउन्टेन, शाही बग्गी
की सवारी और मूल महल के 1400 से ज्यादा कमरे, जिनमें केवल 60 पर्यटकों के लिए खुले
हैं। वैसे परिसर के हर हिस्से में जाने के लिए टिकटों के कई तरह के पैकेज मौजूद हैं
और सब ख़रीदने पाने में अक्सर जेब की रज़ामंदी नहीं होती।
बरोक वास्तुकला से सज्जित ये परिसर बेमिसाल भव्यता और बेजोड़ रखरखाव का प्रतिबिंब है। राजमहल के एक-एक कमरे का ऐश्वर्य आखों को विस्मय से भर देता है लेकिन इनकी पीछे छिपी कहानियां मन में अलग सा विषाद छोड़ जाती हैं। इन कमरों की आंतरिक सज्जा में योरोप के अलावा कई और देशों की संस्कृति की छाप है, जिनमें भारत और सुदूर पूर्व भी शामिल है। हर कमरे की अलग कहानी, किसी को बच्चे की असामयिक मृत्यु का ग़म भुलाने के लिए बनवाया गया तो किसी को किसी विशिष्ठ अतिथि के स्वागत के लिए सजाया गया। लेकिन सबसे ज़्यादा याद रहने वाली कहानी है इस साम्राज्य के सबसे चहेते राजा फ्रांज जोसेफ की कर्मठता और अधूरे प्यार की।
ऊपर वाला भी जाने एक
ही रेसिपी से कितनी ज़िंदगियां, कितने रिश्ते गढ़ डालता है। भूगोल, भाषा, विरासत,
संस्कृति सब बदल जाती है बस इन कहानियों का मूल स्वरूप नहीं बदलता। फ्रांज़ जोसेफ
की परवरिश उनकी महत्वाकांक्षी मां रानी सोफी ने की, भावी सम्राट की तरह।
परिस्थितियों ने 18 साल की उम्र में उन्हें सम्राट भी बना दिया। अपने बेटे की जोड़
की दुल्हन के तौर पर रानी ने अपनी बहन की बड़ी बेटी हेलेन को चुना, लेकिन नौजवान
राजा को तो हेलेन की छोटी बहन एलिसाबेथ (सिसी) भा गई और मां को अनिच्छा से इस शादी
के लिए हामी भरनी पड़ी। रानी सिसी को राजमहल के बंधन और अपनी सास का शासन कभी रास
नहीं आया और वो ज़्यादातर अपने परिवार से दूर मनमर्ज़ी की ज़िंदगी जीती रहीं। पहली
नवजात बेटी की मृत्यु और प्रेम-प्रसंग के कारण इकलौते बेटे की आत्महत्या जैसे दंश
ने इस रिश्ते को और उदासीन बना दिया। बाद में रानी सिसी की भी एक राजविरोधी सनकी
ने जेनेवा में हत्या कर दी। लंबे अकेलेपन और उसके बाद पत्नी की हत्या का दंश झेल रहा फकीर राजा अपनी ज़िंदगी की
आखिरी सांस तक बस काम करते रहना चाहता था। महल में घुसते ही प्रतीक्षाकक्ष के बाद
उनका दफ्तर आता है और फिर राजसी मानकों के हिसाब से बेहद छोटा सोने का कमरा। उसके
बाद के कमरे एक के बाद एक भव्यता और समृद्धि की अलग-अलग कहानियां कहते जाते हैं। पूरी
दीवार को ढंकते भित्ति चित्रों, जिन्हें बनाने में कई कलाकारों की ज़िंदगियां खप
गईं, में बाईबल की कहानियों से लेकर राजपरिवार से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं पर बनी
पेंटिंग्स शामिल हैं।
आँखें इस ऐश्वर्य से
अचंभित होती रहती हैं और मन इसके पीछे छुपे अकेलेपन और एकतरफा प्यार की दास्तान को
आत्मसात करता रहता है। राजपरिवार के डायनिंग हॉल में जब तक आप सुनहरी किनारियों
वाली रेशमी कुर्सियों से लेकर छत पर लटके झूमरों और परोसने के बर्तनों को निहारते
हैं कान में लगी गाइड मशीन बताने लगती है कि इस कमरे में फ्रांज जोसेफ को ज़्यादातर अकेले ही खाना खाना पड़ता था क्योंकि अपनी सुंदरता और फिगर को लेकर जुनून की हद तक सजग रानी सिसी अगर महल में होतीं भई तो खाना खाने कभी-कभार ही आती थीं। रानी सिसी का फैशन सेंस और सुंदरता सौ साल बाद भी ऑस्ट्रिया में किंवदंती बनी हुई है।
महल के पिछले हिस्से
में लंबे बागीचे को पार कर नेप्च्यूनन फाउन्टेन और ऊंचाई पर बने रोमन अवशेष को
देखने के बाद हम झाड़ियों से बने सुंदर भूल-भुलैया की ओर बढ़े, टीम बांटकर रेस
करते हुए चिनार के पेड़ पर बने मचान पर पहुंचे, बगल के पार्क में बने मौलिक झूलों
का आनंद लिया और जी खोल कर हंसे। परिवार के साथ हल्के-फुल्के क्षण बिताना उस दिन
जाने क्यों मन को सराबोर कर गया।
No comments:
Post a Comment