कुछ महीने पहले वो तीसरी बेटी का बाप बना है.
पांच साल में तीसरी जगची, लिहाज़ा पत्नी को खून, पानी सब चढ़ाना पड़ा. कई रोज़
अस्पताल में रही. लेकिन तीसरे महीने से मंदिर और बाबाओं को दर्शन फिर से शुरु दिए
गए हैं. अगली बार बेटा ही हो इसके लिए ज़रूरी है कि किसी भी वजह से मन्नतों और
प्रसादों में कोई कमी ना रह जाए. सो ऐसे बाबाओं को ढूंढा जाना जारी है जिनका
आर्शीवाद कभी खाली नहीं जाता.
इस बारे में हमारी कई बार बात होती है. ‘बेटी बचाओ, बेटी
पढ़ाओ’ जैसे
तमाम जुमले उसके ऊपर से तेल पर पानी की तरह फिसल जाते हैं.