अपने अमेरिकी और
यूरोपीय दोस्तों से मैने कई बार बच्चों की परवरिश के भारतीय तौर-तरीकों की आलोचना
सुनी है, हालांकि उतनी ही बार मैं अपने संस्कार और अपने पारिवारिक मूल्यों का
हवाला देते हुए उनसे उलझी भी हूं। फिर भी एक अमेरिकी दोस्त की ये
टिप्पणी मेरे अंदर गहरे पैठ गई है कहीं,
“You don’t actually bring up your kids,
you turn them into a bundle of emotional fools”
जज़्बाती होकर
विदेशियों से इस मुद्दे पर मैं अभी भी लड़ने तो तैयार हूं क्योंकि तर्क-वितर्क करना मेरे
व्यक्तित्व में है लेकिन एक अपने भीतर झांकने पर इस तर्क को पूरी तरह से खारिज कर
सकने का दोमुंहापन मेरे अंदर नहीं है।
तुम्हें बड़ा करने
में हमनें अपनी पूरी ज़िंदगी लगा दी।
हमने हमेशा तुम्हारी
सुविधाओं के आगे अपनी ज़रूरतों को अनदेखा किया।
क्या मां-बाप होने
के नाते हमारा तुमपर इतना भी अधिकार नहीं? क्या तुम हमारी इतनी सी बात नहीं मान सकते?