Mosse de Orsay यानि म्यूज़ियम ऑफ मॉडर्न
आर्ट से निकलकर सेन नदी पार कर मोनालीसा के घर The Louvre Museum तक जाने के रास्ते उस दिन
बड़ी गुनगुनी सी धूप निकल आई थी। जैसे सूरज ने बादलों की चादर झटककर फेंक दी हो एकदम से। दो दिन से ऐसी
धूप को तरसते हम सब छोड़छाड़ कर वहीं पार्क की चमकती घास पर बैठ गए और मोनालिसा को
थोड़ा और इंतज़ार करने दिया।
हमारी ये गुस्ताखी
शायद ना मोनालीसा को रास आई ना हमारे क़दमों को। तभी तो, म्यूज़ियम में घुसते ही
पता चला कि मोनालीसा की चौखट की ओर जाने वाले एस्केलेटर बंद कर दिए गए हैं। दूसरी
ओर से चढ़ते ही इलेक्ट्रॉनिक गाईड और नक्शों के बावजूद हम रास्ता भटक गए।
यूं भी, साढ़े छह लाख स्कवेयर फीट
में फैले दुनिया के इस सबसे प्रसिद्ध म्यूज़ियम में रखी गई 35000
नायाब पेंटिंग्स और कलाकृतियों को नज़र भर देखने में ही कलाप्रेमी हफ्तों बिता
देते हैं। लेकिन कला के नाम पर लगभग अनपढ़ हम जैसों के लिए यहां आकर मोनालिसा को
सामने से देख पाना लगभग वैसा ही है जैसे पूजा में ना बैठने के बावजूद आपने प्रसाद
पाकर ख़ुद को पुण्य का भागी मान लिया।
सो भटके हुए रास्ते
में जो नज़र आया उसे मुग्ध आंखों से पीते हुए हम उस ओर बढ़े जहां सबसे ज्यादा भीड़
जा रही थी। तीन मंज़िल के बराबर सीढ़ियां, सात-आठ गलियारे और दसियों कमरे पार कर
मोनालीसा को तलाशना कुछ-कुछ उस राजकुमार की कहानी की याद दिला रहा था जो अपने
पिताजी महाराज के आदेश पर बाग का सबसे बड़ा सेब तोड़ने जाता है और रास्ते में पड़े
एक से एक खूबसूरत सेबों को नज़रअंदाज़ कर देता है, ये सोचकर कि आगे और बढ़िया
मिलेगा।
सिक्यूरिटी बैरिकेड
के घिरी, शीशे की तीन परतों में क़ैद मोनालीसा बिल्कुल उसी कमरे में मिली जहां
सबसे ज्यादा भीड़ थी। रहस्य से भरी वो मुस्कान भी वैसी ही थी जिसके बारे में सालों
से सुना और पढ़ा। इतने पास आकर भी उस रहस्य को समझ पाने का कोई उपाय नहीं। कमरे
में भीड़ इतनी ज्यादा कि फोटे ले पाना भी मुश्किल। वैसे भी इतनी भीड़ में अच्छे से
अच्छे कैमरे से ली गई तस्वीर भी सेल्फी जैसी लुक ही देती है। पेंटिंग को पहली बार
देखने वाला हरेक शख्स अपनी-अपनी भाषा में सबसे पहले उसके आकार पर आश्चर्य व्यक्त
करता। 4.3 स्कवेयर फुट की ये पेंटिंग उस कमरे में रखी तमाम दूसरी पेंटिंग्स के
मुकाबले सबसे छोटी है।
मोनालीज़ा के साथ
सेल्फी के उपक्रम में सबसे पहले नज़र जाती है सामने की दीवार पर लगी बेहद सजीव और
मनमोहक पेंटिंग पर। इस कलाकृति का नाम है, पाउलो वेरोनीज की “द वेडिंग फीस्ट एट काना”। 710 स्कवेयर फुट की ये
ऑयल पेंटिंग ईशू के पहले चमत्कार की कहानी दर्शाती है जिसमें उन्होंने एक शादी के
भोज के दौरान पानी को शराब बना दिया था ताकि मेहमानों को शराब की कमी ना हो।
यूं तो इसके बाद भी नज़रों को सैकड़ों
कलाकृतियों का आमंत्रण था लेकिन टांगें जवाब दे रही थीं और केवल उसी मोड़ तक चलने
को तैयार थीं जहां सबसे पहला रेस्तरां पड़ता था। अच्छा ही है जो म्यूज़ियम वालों
ने मोनालीज़ा को सामने के कमरों में नहीं रखा वरना जितना देखा उतना भी नहीं देख पाते।
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