मेरे बच्चों के
पापा,
तुमसे पहली बार मिलने
के सोलह महीने और बीस दिन बाद मैं तुम्हारे दोनों बच्चों की मां बन चुकी थी. हमारे रिश्ते की ज़मीन तब
इतनी कच्ची थी कि हमारे दरम्यान किसी तीसरे की चर्चा भी तब शुरु नहीं हुई थी. तिस
पर कुछेक महीनों का कच्चा-पक्का बसा-बसाया छोड़ हम एकदम से पराए देश में नए सिरे
से शुरुआत करने जा पहुंचे थे.
हम जैसे धरती पर दो
अलग दिशाओं से आए उल्कापिंड थे. तुम बड़े से परिवार के सबसे छोटे, तुमने सालों से
अपने परिवार के अंदर सबकी अलग दुनिया बसते देखा थे, तुम्हारे लिए मैं और हमारे
बच्चे अपने अस्तित्व का लॉजिकल एक्सटेंशन थे. मैं परिवार की सबसे बड़ी बेटी, मेरे
लिए लंबे समय तक तुम्हारा नंबर मां-बाप और बहनों के बाद आता रहा, तुम धैर्य से
अपनी बारी का इंतज़ार करते रहे.
मैं महीने भर पहले
टीवी रिपोर्टिंग का अफलातूनी करियर छोड़, नए देश के खाली-खाली से अपार्टमेंट में
बदहवास भटका करती, तुम हर रोज़ मुझे समझाते, थोड़ा और सहेजते. उन महीनों में मेरे
अंदर का सन्नाटा जैसे बाहर पसर गया था और बाहर की सारी हलचल मेरे अंदर होने लगी
थी. अंदर बाहर सब नया और फिर कुछ हफ्तों बाद पहली सोनोग्राफी में डॉक्टर की खुशी
से किलकती चीख, ‘ You got to be kidding me, there
are two’ मेरे पसीने से तर
हाथ को तुमने थामा था, मैं हूं ना सब संभाल लूंगा. अगले आठ महीने मैं देखती रही, कैसे तुम्हारे हाथों मेरे
भरोसे की नींव पर रोज़ एक नई ईंट रखी जा रही थी. सही मायनों में हमारी गृहस्थी की
कच्ची दीवार उन आठ महीनों में ठोस होती गई.
जिस देश में लेबर
रूम में भी पिताओं की उपस्थिति अनिवार्य और सहज थी, डॉक्टर और नर्स तुम्हें ‘Father who knows everything about his babies,
even better than the mom’ बुलाया करते. आखिरी दिनों के डर को डॉक्टर सॉर्किन वेल्स ये
कहकर हवा में उड़ा देती कि, ‘He
doesn’t need me to deliver your babies, he can handle them both alone’
तुम्हें शायद पता
नहीं होगा, औरत सबसे ज्यादा वल्नरेबल तब होती है जब वो नई-नई मां बनी होती है. जिस क्षण वो सबसे अनमोल
सिरजती है उसी क्षण वो सबसे ज़्यादा बिखर भी जाती है. उसके कलेजे का टुकड़ा जब एक
हाथ से दूसरे हाथ खिलौने की तरह घुमाया जा रहा होता है, वो उन सबसे भाग किसी
अंधेरी सुरंग में छुप जाना चाहती है. उस क्षण उसे बधाइयों से ज़्यादा सहारे की
ज़रूरत होती है. तभी शायद प्रसव के
लिए लड़कियां मायके जाती हैं अपनी मां के पास.
मेरी मां तो मुझसे 45 हज़ार मील दूर थी लेकिन उन दिनों तुम मेरे लिए मेरी
मां भी बन गए. बच्चों के साथ मुझे भी सहेजते, संभालते रहे. मेरे हिस्से दो बच्चे
आए थे, लेकिन तुमने तीन को एक साथ पाला. सुना था बच्चे के जन्म देने भर से मां
नहीं बना जाता, मां बनना सीखना होता है. मैंने तुम्हें देख-देखकर मां बनना सीखा.
शुरु के उन महीनों
में जब मांओं के लिए दिन-रात, सर्दी-गर्मी सब एक रंग में ढल जाते हैं, तुम एक रात भी अपनी नींद
पूरी करने के नाम पर उनसे अलग नहीं सोए. उनकी हल्की सी कुनमुनाहट पर मुझसे पहले जागे. चार महीने के बच्चों
के साथ मैं नई नौकरी शुरु कर पाई क्योंकि तुमने अपनी कपंनी को वर्क फ्रॉम होम
प्रोजेक्ट के लिए मना लिया था. सहेलियां छेड़तीं रहीं, ऊपर वाला भी सोच-समझकर ही
ट्विन्स भेजता है.
तुम हमेशा मुझसे
ज़्यादा उनकी मां रहे, दफ्तर से सीधा घर भागने वाले, बेटी की परफेक्ट चोटी बिना
दर्द कराए बनाने वाले, रात-रात जग उनके प्रोजेक्ट बनाने वाले, उनसे लड़कर रूठ जाने
वाले, उनकी छोटी-छोटी सफलता पर रो देने वाले, उनकी क्लास के व्हाट्सएप ग्रुप में
तमाम मांओं के बीच मौजूद इकलौते पिता. मेरी नई हेयरस्टाइल नोटिस करने में तुम चाहे
दस मिनट लगा दो, अपने बच्चों के हाथ पर मच्छर काटे का निशान तुम्हें दस फुट की
दूरी से दिख जाता है.
यूं तुम किताबें नहीं
इंसानों को पढ़ते हो, फिर भी बता दूं, चांद-तारे तोड़ने का वादा करने वाले मर्द,
औरतों को आकर्षित ज़रूर करते हैं लेकिन वो अपना अस्तित्व उसी मर्द के लिए मिटा
पाती है जो उसके मन को, उसके सिरजे अंश को समझ पाए. घर बसाना औरत का सबसे बड़ा
सपना होता है और उस घर को उसके जितनी ही अहमियत देने वाला पति उस सपने का सबसे
मुकम्मल हासिल.
जिनके नन्हें क़दम
कभी फर्श पर सीधे नहीं पड़ते थे वो हमारी उंगलियां छोड़ लंबे-लंबे रास्ते नापने लगे हैं. उनसे भी लंबे हो चले हैं
उनके सपने. एक रोज़ जब वो हमारी ओर पीठ किए उन सपनों से अपना दामन भरने निकल
चलेगें, मेरी उंगलियों को तब भी तुम्हें थामे रहने की ज़रूरत होगी. हम उस रोज़ भी
यही रह जाएंगे, अपने बच्चों के ममा-पापा. हमारी दोस्ती के बाद हमारे रिश्ते की सबसे
मज़बूत कड़ी.
ममा वाले पापा को
पिता होने का दिन मुबारक़ हो.
No comments:
Post a Comment