Tuesday, March 8, 2016

एक वुमन की पाती उसके तमाम ब्वाय+फ्रेंड्स के नाम


सबसे पहले तो ये कि ब्वाय अब तुममे से कोई नहीं रहा, (चालीसे के पार जा चुके या आसपास भटक रहे को ब्वाय कौन कहे भला) लेकिन फ्रेंड तुम पहले की तरह ही हो हमेशा-हमेशा के लिए। वैसे एक बात बताऊं, सर के बचे बाल संवारकर, अपनी कमर के बढ़ते घेरे को जिम में टोन कराकर, बच्चों और बीवी के साथ फोटे खिंचाकर जब तुम शेयर करते हो ना, कसम से बड़े क्यूट लगते हो। पहले से भी ज़्यादा।

आज यूं ही ख्याल आया, सुबह-शाम सब्ज़ी वाले, ऑटो वाले, दूध वाले को थैंक यू बोलती हूं। बच्चों को थैंक यू बोलने के उपदेश देती हूं, तुम लोगों को कभी थैंक यू नहीं बोला।

एक बड़ा वाला थैंक यू उस दोस्त को जो साथ में बाज़ार निकला तो इसलिए था कि गर्लफ्रेंड के लिए सही कार्ड पसंद करवाने में मेरी मदद मिल जाएगी लेकिन 10 मिनट की उस मदद की एवज़ में मेरी सैंडल खरीद में शरीक होकर तीन घंटे भटकना पड़ा था उसे।
थैंक यू उस दोस्त को जिसे सिक लीव वाले दिन भी बस में बैठकर बीस किलोमीटर दूर दफ्तर आना पड़ा था, क्योंकि मैंने फोन करके बुलाया था उसे। उस दिन मुझे अपने जीवन के सबसे ज़रूरी फैसले पर सबसे ज़्यादा उसकी राय जाननी थी। तसल्ली से तुम मुझे सुनते रहे, मेरी खुशी, मेरी चिंताएं, मेरी उद्वगिनता। फिर कहा, ज्यादा मत सोच, हां कर दे, जितना तू बता रही है मैं कहता हूं, सब बढ़िया रहेगा। हां मैंने उसी शाम कर दी थी।
एक बड़ा वाला थैंक यू उस दोस्त को जिससे इतने सालों तक औपचारिक हलो हाय के मैसेज भी शेयर नहीं किए। सीधे एक बार फोन आया जब वक्त उसका कठिन इम्तहान ले रही थी। बातें करने के अलावा तो तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाई, लेकिन तुम्हें पता नहीं है कि तुमसे बातें करते-करते अपनी ज़िंदगी की कितनी गुत्थियां सुलझा लीं मैंने।
एक बड़ा वाला थैंक यू उस दोस्त को भी जिससे दस साल बाद मिलना हुआ। दो मिनट तू नहीं बदला, तू भी नहीं बदली किया और केवल खाना खाने तक शराफत दिखाई। फिर बिल कौन भरेगा को लेकर ऐसी छीना झपटी हो जाए कि बिल ही फट जाए और वेटर हकबकाकर देखता रह जाए। हां तो, डिस्क्लेमर पहले नहीं दिया था कि नहीं बदला कोई हममे से। कोई नहीं, हम बिना बिल देखे भी पेमेंट दे देंगे, जाओ तुम दूसरे कस्मटर देखो तब तक।
थैंक यू मुझसे लड़ने के लिए, गुंडी, बदमाश, अच्छी लड़की का एक गुण भी नहीं है तेरे अंदर
थैंक यू मुझे बार-बार याद दिलाने के लिए अभी से तरस आता है उस बंदे पर जिसकी किस्मत में तू लिखी है, हम तो भई बंदे से मिलते ही कह देंगे, बेटा हमारी सहानुभूति हमेशा तेरे साथ रहेगी।‘”
थैंक यू शादी के बाद मिलते ही मुझसे धीरे से पूछने के लिए, सब बढिया? तू खुश तो है ना?’ और हां सुनते ही पैंतरा बदलने के लिए, तुझे वैसे भी क्या होना था, ये सवाल तो बिचारे तेरे पति से पूछना चाहिए था
थैंक यू इस अनकहे भरोसे के लिए कि भले ही तुमसे महीनों बात ना हो लेकिन तुम बस एक कॉल की दूरी पर हो। 
थैंक यू इनबॉक्स में अकस्मात अपनी परेशानियां मुझसे बांट लेने वाले दोस्तों को।

थैंक यू मेरी झल्लाहट, मेरी चिंताएं, सब ठीक हो जाएगा वाले भरोसे के साथ सुन लेने वाले दोस्तों को।

थैंक यू मेरे लंबे चौड़े ऊबाऊ प्रवचन बिना थके झेल लेने वाले दोस्तों को।

थैंक यू, तटस्थ होकर मुझे समझाने के लिए, मुझे हर परिस्थिति के दूसरे पहलू से रू-ब-रू कराने के लिए।

थैंक यू, बिना कुछ समझाने की कोशिश किए बस मुझे सुन लेने के लिए।

तुम में से कोई मेरा भाई या भाई जैसानहीं है, तुममें मुझे अपने पिता की सूरत भी नहीं दिखती, अपने पति से तुम्हारी कभी कोई तुलना नहीं की। ये सब तुलनाएं क्योंकि झोल हैं, असल रिश्ते पर झूठ का मुलम्मा चढ़ाने जैसी। तुम मेरे दोस्त हो और दोस्तों को कुछ और बनने की ज़रूरत नहीं होती कभी भी। मेरी दुनिया में तुम्हारी जगह कोई नहीं ले सकता, मेरी दुनिया में तुम्हारी कमी कोई पूरी नहीं कर सकता। एक रिश्ता ही काफी होता जीने के लिए तो बनाने वाले ने इतने सुंदर रिश्ते गढ़े ही क्यों होते?

और याद है वो डायलॉग जिसपर सिनेमाहॉल में कसकर तालियां बजीं थीं, टिकट खिड़की पर भगदड़ हो गई थी, क्या था वो डायलॉग? एक लड़का और लड़की कभी अच्छे दोस्त नहीं हो सकते? बड़ा ही वाहियात वाक्य था। वैसे भी वो बर्फ से लदी पहाड़ियों के सामने शिफॉन की साड़ी पहन कूल्हे मटकाने वाली महिलाओं के लिए लिखा गया था। हम जो हैं ना अतरंगी लड़कियां, हर मौसम बदलने वाली होती हैं। ससुराल के गांव में सिर पर पल्लू रख पचास लोगों को खाना भी परोस देतीं हैं और मॉल-बाज़ार करना हो तो फटीचर जींस भी पहन कर निकल लेती हैं। हमें रेड सॉस पास्ता भी बनाना आता है और पंचामृत भी। और हम जैसी अतरंगियों को ना तुम जैसे कई-कई दोस्तों की ज़रूरत होती है।
तो हमेशा ऐसे ही रहना, साथ-साथ बुढाएंगे और बुढापे में भी लड़ेंगे।
और सुन लो दुष्टों, इसको पढ़ोगे तो सबसे पहले तुम लोग ही, और मुस्कुराओगे भी ज़रूर तुम। हंसना हो तो हंस भी लेना। लेकिन खबरदार फोन पर इस बारे में मुझसे कोई बात की तो या चिढ़ाने की कोशिश भी की। याद है ना, बदले ना तुम हो, ना मैं।

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