‘मम्मा क्या हम बेहारी है?’ बच्चों ने स्कूल से आकर पूछा।
‘बेहारी नहीं बिहारी, आप अपने राज्य का नाम भी
ठीक से बोल नहीं सकते।‘ मैंने उन्हें डपट दिया। वो रुआंसे हो गए, तो मुझे अपनी
ग़लती का एहसास हुआ। मैं उन्हे पास बिठाकर बताने लगी, दरभंगा, उनकी मां का शहर,
जहां वो तो क्या उनके पैदा होने के बाद उनकी मां तक नहीं गई। सहरसा, उनके पिता का
शहर, जहां हम उन्हें बस एक बार ले गए, दो साल की उम्र में, कुलदेवी के सामने मुंडन
की परंपरा निभाने।