Saturday, August 26, 2017

तलाक विमर्श के बाद....




कुछ साल पहले एक पढ़ी लिखी लड़की की कहानी सुनी थी. प्यार और आत्मविश्वास से पली, मां-बाप ने धूम-धड़ाके से शादी की. कुछ ही महीनों में पति ने बिना किसी वजह के छोड़ दिया. मान-मनौवल, बीच-बचाव की सारी कोशिशें नाकाम हुईं. पड़ोस और समाज की सारी संवेदनाएं भी बिचारी लड़की के साथ थीं जो अब मायके में रहकर अपने पैरों पर खड़ी होने की कोशिश कर रही थी. कुछ सालों के इंतज़ार के बाद लड़की का धैर्य जवाब दे गया, माता-पिता की सहमति से उसने अदालत में तलाक की अर्ज़ी दे दी. पत्नी की ओर से भेजा गया कानूनी नोटिस लड़के वालों के नाग के फन से फुंफकारते अहम पर ठेस था. उन्होंने उसका जवाब देना अपनी शान के खिलाफ समझा. साल भर बात लड़की को इसी बिना पर तलाक मिल गया. परिवार ने खुशी-खुशी उसकी पसंद के लड़के से उसका घर दोबारा बसाने की तैयारियां शुरु कर दी.
क्या इसे सुखांत समझा जाए?
असल में पूरी तरह नहीं.

Sunday, August 13, 2017

सजना है मुझे.....



यकीन मानिए इस पंक्ति का अगला हिस्सा यमक अंलकार का अप्रतिम और सबसे लोकप्रिय उदाहरण होने से ज़्यादा और कुछ नहीं. यूं इसे पूरा सच मानकर आत्ममुग्धता के शिखर पर बैठी पुरुषों की कई पीढ़ियां अपनी उम्र की सीढ़ियां चढ़ चढ़कर उतरती गईं. और मानते कैसे नहीं, इंकार करने से उनके लार्जर देन लाइफ ईगो को ठेस नहीं लगती भला? तो ज़माने भर के नगमों और कैफियतों से आपके अहम के गुब्बारा इस कथ्य ने फुला दिया कि भई औरतों के कपड़े, साज-श्रृंगार सब अपने उनको रिझाने के लिए. और इसे दुनिया का पहला और आख़िरी ब्रह्म सत्य मानकर आप चले जा रहे हैं कभी गहनों की शॉपिंग पर, कभी फ्यूशा पिंक ड्रेस की मैचिंग लिपस्टिक की ख़रीदारी पर तो कभी सी ग्रीन साड़ी का फॉल ढूंढने. और कर भी क्या सकते हैं आप, वक्त रहते किसी ने आपको सचेत जो नहीं किया.

Saturday, August 5, 2017

हैप्पी फ्रेंडशिप डे, गर्लफ्रेंड्स



नए फैशन के तमाम दिनों की तरह फ्रेंडशिप डे भी बाज़ार का गढ़ा हुआ, गिफ्ट ख़रीदने की बाध्यतता लेकर आया हुआ त्यौहार है. अमेरिकी और यूरोपीय देशों में गर्मी की छुट्टी के दौरान, एक दिन दोस्ती के नाम किया गया. यूं दिन, त्यौहार कोई सा भी हो, हिन्दुस्तान की दुकानें ज़रूर सज जाती हैं. सोचा जाए तो इसमें ग़लत ही क्या है. दोस्ती निभाने में यूं भी हमारा कोई सानी नहीं. कृष्ण-सुदामा की हो या दुर्योधन और कर्ण की, शेर या चूहे की हो या फिर हिरण और कौवे की, पौराणिक कथाएं हों या जातक, दोस्ती की अनूठी मिसाल हर रूप में मिल ही जाती है. हमारे दिल दिमाग को हर कदम पर संचालित करने वाले बॉलीवुड को भी जब-जब प्रेम और बदले से छुट्टी मिली, दोस्ती की आंच पर कुछ ना चढ़ा देता रहा. लेकिन ध्यान रहे, दोस्ती के ये तमाम नायाब किस्से बस एक अधाई को समर्पित हैं. बाकी की आधी आबादी को दोस्ती के लहलहाते महासागर की तलछट भी नसीब नहीं.