Thursday, April 28, 2016

उत्तरार्ध



बाय, सी यू, मिस यू’, के नारों के साथ जाने वालों की आखिरी गाड़ी भी विदा हो गई तो कई मिनट तक दोनों बरामदे के दो कोनों में एक-दूसरे से आखें चुराते बैठे रहे।
दो हफ्तों से आशियाने को गुलज़ार किए सभी पाखी अपने-अपने घोंसलों को उड़ चले और पीछे छोड़ गए ये असहज सन्नाटा। बच्चे थे तो उनके बच्चे भी थे, बातें थीं, कहकहे थे, शिकायतें थीं, उलाहने थे, माफी थी, प्यार था, चिंताएं थीं, आश्वासन थे, महत्वाकांक्षाएं थीं, भरोसा था, सराहने थे, साथ था। चले गए तो इन सबके साथ मां-बाप के बीच जुड़ीं सारी की सारी डोरें भी साथ ले गए। चालीस सालों का जो आशियाना जोड़ा था उसकी नींव भी बच्चे और छत भी बच्चे।

Friday, April 22, 2016

प्रेम का बिरवा


पार्क सरकारी था, महानगर के सुदूर कोने में, बड़ी-बड़ी रिहायशी इमारतों के बीच हाल ही में बनाया गया। उन ऊंची अट्टालिकाओं की दूसरी ओर, ऊबर-खाबड़ गलियों और बजबजाती नालियों वाला एक गांव भी था, जहां के हिलते-डुलते घरों से निकलकर हर सुबह सैकड़ों औरत-मर्द इन अट्टालिकाओं में घुसते थे, किसी की गाड़ी चलाने, किसी की जूठन साफ करने, किसी के कपड़े इस्त्री करने, किसी के चूल्हे की आंच सवांरने, किसी के बच्चे संभालने के लिए। इन अट्टालिकाओं से भी हर सुबह सैकड़ों औरत-मर्द हड़बड़ाकर बाहर निकलते थे, महानगर के अलग-अलग कोने में बने सरकारी और प्राइवेट दफ्तरों में सूरज के डूबने तक गुम हो जाने के लिए।

Saturday, April 16, 2016

बेटे के नाम एक अपराधबोध का स्वीकारनामा


मेरे प्यारे बेटे,
तुम अपनी बहन के ठीक एक मिनट बाद मेरे गर्भ से बाहर आए। तुम्हारी बहन तब डॉक्टर सॉर्किन वेल्स के हाथों में ही थी। उन्होंने उसे हौले से पुचकारा, देखो कितनी भाग्यशाली हो तुम, तुम्हारा ख्याल रखने साथ-साथ एक भाई भी आया है।
उस पीड़ा में भी मैं प्रतिवाद करना चाहती थी। अमेरिकन होकर भी डॉक्टर ने ऐसा क्यों कहा? ख्याल तो दोनों को ही रखना होगा एक-दूसरे का, ये ज़िम्मेदारी केवल भाई की ही क्यों? और फिर बहन की अपने भाई पर निर्भरता रहेगी ही क्यों? हम उसे भी तो उतना ही सक्षम बनाएंगे। मेरा तो कोई भाई नहीं और इस बात को मैंने और तुम्हारी मौसियों ने हमेशा एक तरह से सेलीब्रेट ही किया है, एक दूसरे का संबल बनकर, एक दूसरे को बिना शर्त प्यार देकर।